मतदाता सूची पुनरीक्षण पर बवाल: सुप्रीम कोर्ट में हुई तीखी सुनवाई

मतदाता सूची पुनरीक्षण पर हंगामा — सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

मतदाता सूची पुनरीक्षण पर हंगामा — सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

10 जुलाई 2025, नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे Special Intensive Revision (SIR) को लेकर सियासी और कानूनी विवाद गहराया। विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया।

🧭 विवाद के मुख्य बिंदु:

  • डॉक्यूमेंट्स की अनिवार्यता: 24 जून ईसीआई निर्देश में, मतदानाधिकार बनाए रखने के लिए जन्म, स्थान और माता-पिता के दस्तावेज माँगे गए — जिससे विरोधी दलों ने भेदभाव का आरोप लगाया 1।
  • हाथ से हटाना: आबादी के बाद दर्ज 2003–2025 के बीच जोड़े गए मतदाताओं को “शिफ्ट अपर सस्पेक्ट” मानकर बाहर किया जा सकता है 2।
  • भोजन राजनैतिक बॉयकॉट: 9 जुलाई को INDIA ब्लॉक के आह्वान पर बिहार बंद भी हुआ, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित हुआ 3।

⚖️ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:

10 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बहस शुरू की:

  • कोर्ट ने पूछा कि ऐसा सख्त पुनरीक्षण चुनाव की घोषणा से पहले क्यों किया गया? आयोग को इसे पहले शुरू करना चाहिए था 4।
  • याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि SIR से करोड़ों हाशिए पर रहने वाले मतदाता वोटिंग अधिकार खो सकते हैं 5।
  • चुनाव आयोग की ओर से के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि SIR संविधान के भीतर है, और यह अवैध और डुप्लीकेट प्रविष्टियों को हटाने के लिए जरूरी है 6।
  • कोर्ट ने आयोग से पूछा कि क्या आधार कार्ड जैसे दस्तावेज़ पर्याप्त हैं, और क्या कोई अपील का मैकेनिज्म है? 7

🔮 अगली सुनवाई और संभावित असर:

  • सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत निर्देश और तर्क-मिप्लान के साथ सुनवाई लंबित रखी है — अगली तारीख जल्द आएगी 8।
  • इसे लेकर समर्थन–विरोध लगातार जारी है: ADR और विपक्ष SIR को “गैर-न्यायसंगत” बता रहे हैं, जबकि आयोग इसे पारंपरिक प्रक्रिया करार दे रहा है 9।

इस बहस से चुनाव में मतदाता विश्वास, संवैधानिक अधिकार, और चुनाव आयुक्त की भूमिका जैसे सवाल फिर से उठे हैं। अगली सुनवाई पर ही सियासी भविष्य स्पष्ट होगा।

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